अजीब बीमारी, एक गांव में शाम होते ही चली जाती है आंखों की रोशनी,,,।

अजीब बीमारी, एक गांव में शाम होते ही चली जाती है आंखों की रोशनी,,,।
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दिव्यांगता कितना बड़ा अभिशाप है, इसके संबध में उत्तरप्रदेश के कुशीनगर जिले के विकासखंड सुकरौली का मठ सूरज गिरी गांव के लोगों से पूछा जा सकता है। यहां कई लोगों को शाम होते ही दिखाई देना बंद हो जाता है। इस कारण वे काम छोड़कर अंधेरा होने से पहले ही घर वापसी करने लगते हैं। यहां 100 घरों में से 50 लोग दिव्यांग हैं।
सुकरौली ब्लॉक के मठ सूरज गिरी में मुन्नी देवी के पांच सदस्यीय परिवार में मां-बेटी छोड़ परिवार में तीनों बेटों को एक ऐसी बीमारी है, जिसमें सूर्य के उजाले के साथ दुनिया देखते हैं और सूर्यास्त होते ही उनकी आंखों की रोशनी जाने लगती हैं। तीनों भाइयों के पिता की जॉइंडिश बीमारी के कारण आठ वर्ष पहले मौत हो गई थी। उसके बाद तीन बेटों और एक बेटी की जिम्मेदारी मां के कंधों पर आ गई। महिला मजदूरी कर किसी तरह गुजर-बसर कर रही है। मुन्नी देवी बताती हैं कि पति के जिंदा रहते ही बड़ा बेटा खुशहाल जब 8 साल का हुआ तो उसकी रात में न दिखने की बीमारी हो गई। उन्होंने पहले रतौंधी समझकर अस्पताल लेकर गए, लेकिन किसी को उसकी बीमारी समझ नहीं आई। तभी दूसरे बेटे अमर को भी वही दिक्कत हो गई। बेटी रंजना तो अभी ठीक है, लेकिन सबसे छोटे बेटे अमित को भी वहीं बीमारी हो गई। तीनों बच्चों की हालत ऐसी हो गई है कि जैसे ही शाम होती है उनको दिखना बंद हो जाता है। मुन्नी देवी ने बताया कि न घर है और न खेत। मजदूरी करके तिरपाल के नीचे बच्चों को लेकर गुजर-बसर कर रही हैं। उन्होंने कहा की उनकी इस समस्या को अधिकारी भी नहीं सुनते और वे दुतकार देते हैं। उनको चिंता है कि उनकी मौत के बाद बच्चों का क्या होगा।
तीनों भाइयों में सबसे छोटे अमित (13) ने बताया कि बचपन में वह औरों की तरह देख लेता था, लेकिन जब वह दूसरी कक्षा में था तो उसे कम दिखाई देने लगा। इस कारण पढ़ाई छूट गई, क्योंकि अक्षर साफ नहीं दिखता था। उसने बताया कि लड़के उसे अंधा कहते हैं। यह सुनकर बुरा लगता है। अमित चाहता है कि कभी बड़ा न होऊं, क्योंकि मेरी आंखें बच जाएंगी। अमर कहता है कि उसे दिन में भी ठीक से नहीं दिखाई देता और रात को तो बिल्कुल नहीं। उसने कहा कि जब उम्र कमाने की हुई तो ये समस्या हो गई। खुशहाल का कहना है कि हम कहीं काम करने जाते तो जैसे ही शाम होती है घर वापस आना पड़ता है। इस कारण मालिक नाराज हो जाता है। गांव में ऐसे और भी लोग हैं जो विकलांगता के शिकार हैं। रामअश्रे (70) जो पहले ठीक थे, लेकिन अब आंखे खराब हो गई हैं। भवन (25) पुत्र पलकधारी की बचपन से ही दोनों आंखे नहीं हैं। रामभवन (45) की भी आंख खराब है। गांव के की दो बेटियों की एक-एक आंख खराब है।
पलकधारी की बेटी कैलाशी (35), रामभवन चौहान का 8 साल का बेटा, विनोद शुक्ला का 15 वर्षीय लड़का और महात्मा चौहान का 10 वर्षीय नाती इन सबको बोलने में दिक्कत है। वहीं, हाटा विधानसभा से भाजपा विधायक मोहन वर्मा ने सहयोग का आश्वासन दिया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुरेश पटरियां ने कहा कि मामला मंगलवार को सज्ञान में आया है। डॉक्टरों की टीम भेजकर विस्तार से जांच कराई जाएगी। रिपोर्ट आने पर इस समस्या का पता चलेगा।

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