यूक्रेन कभी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति था , जानिए क्यों हो गए ऐसे हाल,,,।

यूक्रेन कभी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति था , जानिए क्यों हो गए ऐसे हाल,,,।
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क्या आपको पता है यूक्रेन कभी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति था? आज भले ही यूक्रेन के पास परमाणु हथियार न हो लेकिन एक समय दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य ताकत में से एक था। गुरुवार को जब यूक्रेन पर रूसी हमले की खबरें आईं तो यूक्रेन के सांसद एलेक्सी ने इस बात पर खेद जताया कि देश ने पश्चिमी देशों से सुरक्षा गारंटी के तहत अपने परमाणु हथियार छोड़ दिए थे।

यूक्रेन के सांसद एलेक्सी गोंचारेंको ने बताया कि कैसे उनके देश ने रूस और अमेरिका से सुरक्षा गारंटी के बदले परमाणु हथियार त्याग दिए थे। एलेक्सी ने फॉक्स न्यूज से बात करते हुए कहा, “यूक्रेन मानव इतिहास में एकमात्र राष्ट्र है जिसने 1994 में अमेरिका, ब्रिटेन और रूसी संघ से सुरक्षा गारंटी के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा परमाणु शस्त्रागार त्याग दिया था। ये गारंटी अब कहां हैं? अब हम पर बमबारी हो रही, हम मारे जा रहे हैं।”

यूक्रेन के पूर्व रक्षा मंत्री एनरी जाहोरोदनियुक ने भी परमाणु निरस्त्रीकरण पर खेद व्यक्त किया। जाहोरोदनियुक ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया, “हमने बिना कुछ हासिल किए अपनी ताकत तो जाने दिया।”

दुनिया में “तीसरे सबसे बड़े” परमाणु हथियार रखने वाले देश ने यह सब क्यों छोड़ दिया? रूस और अमेरिका से सुरक्षा की क्या गारंटी थी? आइए जानते हैं।
यूक्रेन के पास था परमाणु हथियारों का जखीरा, लेकिन कैसे आया?

यूक्रेन कभी सोवियत संघ (यूएसएसआर) में दूसरा सबसे शक्तिशाली गणराज्य था। दूसरे वर्ल्ड वार के बाद शीत युद्ध शुरू हुआ जोकि मुख्यत: अमेरिका और सोवियत संघ (वर्तमान में रूस) के बीच था। अमेरिका पर रणनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए सोवियत संघ ने अपने परमणु हथियारों का बड़ा जखीरा यूक्रेन में तैनात किया। क्योंकि तब यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा था। लेकिन 1991 में सोवियत संघ का पतन हुआ और इसी के साथ शीत युद्ध पर भी विराम लग गया।

और इस प्रकार यूक्रेन को 1 दिसंबर, 1991 में स्वतंत्रता मिली। यानी ये देश सोवियत संघ से अलग हुआ। स्वतंत्रता के साथ दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति होने का टैग आया, लेकिन ये टैग केवल कुछ समय के लिए ही रहा। अमेरिका और ब्रिटेन दो अन्य सबसे बड़ी परमाणु शक्ति थे।

सोवियत संघ का पतन हुआ तो हजारों परमाणु हथियार, जोकि पूरे सोवियत परमाणु शस्त्रागार का लगभग एक तिहाई थे, वे यूक्रेनी धरती पर ही रह गए। यानी जब सोवियत संघ के पतन के बाद यूक्रेन एक अलग देश बना तो रूस के एक तिहाई हथियार यूक्रेन के पास ही रह गए थे।

फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) के अनुसार, यूक्रेन के पास लगभग 3,000 सामरिक परमाणु हथियार थे जो कि बड़ी सैन्य सुविधाओं, नौसैनिक बेड़े और बख्तरबंद वाहनों को मारने के लिए थे, और 2,000 रणनीतिक परमाणु हथियार जो शहरों को नष्ट करने के लिए थे।
दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा परमाणु शस्त्रागार होने के बावजूद, इन हथियारों के केंद्रीकृत फायरिंग नियंत्रण (Centralized Firing Control) का इस्तेमाल करने का अधिकार मास्को में बना रहा।

बुडापेस्ट मेमोरेंडम के तहत यूक्रेन का परमाणु निरस्त्रीकरण

5 दिसंबर, 1994 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में यूक्रेन, बेलारूस और कजाखस्तान, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के नेताओं ने एक बैठक की थी। यूक्रेन, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच व्यापक वार्ता के कारण बुडापेस्ट मेमोरेंडम नामक एक समझौता हुआ। समझौते के अनुसार, यूक्रेन अपने परमाणु शस्त्रागार और डिलीवरी सिस्टम जैसे बमवर्षक और मिसाइलों को पश्चिम देशों से वित्तीय सहायता से नष्ट करने के लिए सहमत हुआ। यूक्रेन ने परमाणु हथियारों के अप्रसार (एनपीटी) पर एक गैर-परमाणु हथियार राज्य के रूप में संधि में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की।

समझौते ने यूक्रेन को आश्वासन दिया कि रूस, अमेरिका और ब्रिटेन इसे धमकी देने से बचेंगे और इसकी “स्वतंत्रता और संप्रभुता और मौजूदा सीमाओं” का सम्मान करेंगे। इस बैठक में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया, जिसके अनुसार यूक्रेन, बेलारूस और कजाखस्तान को उनकी स्वतंत्रता, संप्रभुता और मौजूदा सीमाओं के सम्मान का आश्नासन दिया गया।

छह पैराग्राफ वाले समझौते ने यूक्रेन को यह भी आश्वासन दिया कि अन्य तीन हस्ताक्षरकर्ता “यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ बल के खतरे या इस्तेमाल से बचेंगे, और आत्मरक्षा के अलावा यूक्रेन के खिलाफ उनके किसी भी हथियार का कभी भी इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।”
इसमें कहा गया है कि तीनों हस्ताक्षरकर्ता किसी भी प्रकार का लाभ हासिल करने के लिए यूक्रेन के खिलाफ आर्थिक दबाव का इस्तेमाल नहीं करेंगे। तीनों देश यूक्रेन को सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से तत्काल कार्रवाई की मांग करने पर सहमत हुए।

रूस ने बुडापेस्ट मेमोरेंडम का उल्लंघन किया

2014 में रूस ने यूक्रेनी क्षेत्र क्रीमिया को अपने कब्जे में ले लिया, जिसे बुडापेस्ट मेमोरेंडम का उल्लंघन माना गया। हालाँकि, पुतिन ने बुडापेस्ट मेमोरेंडम को अमान्य बताते हुए आलोचना को खारिज कर दिया क्योंकि इस पर पिछली यूक्रेनी सरकार के साथ हस्ताक्षर किए गए थे।

अब क्या बोल रहे पुतिन?

पुतिन ने इस हफ्ते की शुरुआत में दावा किया था कि यूक्रेन के कब्जे में अभी भी सोवियत परमाणु तकनीक है और वह अपने परमाणु हथियार बनाना चाहता है। उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि ऐसी खबरें पहले ही आ चुकी हैं कि यूक्रेन अपने परमाणु हथियार बनाना चाहता है। यह कोई खाली घमंड नहीं है। यूक्रेन के पास वास्तव में अभी भी ऐसे हथियारों के लिए सोवियत परमाणु तकनीक और वितरण प्रणाली है।”

K3 India

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