बाल विवाह के खिलाफ अभियान में कोई ढिलाई नहीं बरतेगी असम सरकार,,,।
एएससीपीसीआर और बचपन बचाओ आंदोलन की साझा राज्यस्तरीय कार्यशाला में असम को बाल विवाह मुक्त बनाने के उपायों पर मंथन
बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में अनुकरणीय और अभूतपूर्व साहस दिखाने वाली असम सरकार ने इस सामाजिक बुराई के खिलाफ प्रयासों को मजबूती देने की कड़ी में असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एएससीपीसीआर) ने बाल विवाह मुक्त भारत (सीएमएफआई) के गठबंधन सहयोगी बचपन बचाओ आंदोलन के साथ संयुक्त रूप से गुवाहाटी में एक राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया। दिन भर चली इस कार्यशाला में असम को 2030 तक बाल विवाह मुक्त करने के प्रयासों के तहत उठाए जाने वाले कदमों की रूपरेखा तैयार की गई। कार्यशाला को एएससीपीसीआर के अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी डॉ. श्यामल प्रसाद सैकिया, एएससीपीसीआर की सदस्य जानकी खाउंड, एसीएस की संयुक्त सचिव (पंचायत एवं ग्रामीण विकास) बासवी ठाकुरिया, स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय, परिवार कल्याण के संयुक्त निदेशक ड़ा. जदुमोनी कोटोकी, महिला एवं बाल कल्याण विभाग की उपसचिव डॉ. प्रीति लेखा डेका, वरिष्ठ पत्रकार प्रणय बारदोलोई और कोसी लोक मंच के कार्यकारी निदेशक ऋषि कांत ने संबोधित किया। कार्यसाला में वक्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में कोई ढिलाई नहीं बरतेगी और प्रदेश को बाल विवाह मुक्त बनाने के प्रयास इसी रफ्तार से जारी रहेंगे।
एएससीपीसीआर के अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी डॉ. श्यामल प्रसाद सैकिया ने कहा, “कानून और कुछ नहीं बल्कि जनता के सामान्य बोध को जनहित में संहिताबद्ध करने का नाम है। असम में बच्चियों को इनके अधिकारों, शिक्षा जैसी हर चीज में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। जिन समाजों में अशिक्षा, गरीबी और लिंग आधारित भेदभाव मौजूद हैं, वहां बाल विवाह की समस्या चुनौती पेश करती रहेगी। बाल विवाह की रोकथाम के लिए विभिन्न कानूनों और योजनाओं पर किस तरह अमल हो रहा है, इस पर एएससीपीसीआर जैसी निगरानी एजेंसियों को नजर बनाए रखनी होगी।”
कोसी लोक मंच के कार्यकारी निदेशक ऋषि कांत ने जबरन विवाह और असम की लड़कियों को हरियाणा ले जाकर वेश्यावृत्ति में झोंकने की समस्या की चर्चा की। उन्होंने बाल विवाह और बाल दुर्व्यापार रोकने के प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की सराहना करते हुए कहा कि बच्चियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए उच्चतर माध्यमिक की शिक्षा के लिए 10,000 रुपए, स्नातक के लिए 10,000 रुपए और स्नातकोत्तर की शिक्षा के लिए 15,000 रुपए की राशि देने जैसे प्रोत्साहन उपाय बाल विवाह रोकने और लड़कियों के सशक्तीकरण में सहायक होंगे।
महिला एवं बाल कल्याण विभाग की उपसचिव डॉ. प्रीति लेखा डेका ने कहा, “बाल विवाह से बाल दुर्व्यापार यानी बच्चों की ट्रैफिकिंग का खतरा भी बढ़ता है। इससे मुक्त कराई गई बच्चियों के पुनर्वास में नागरिक समाज की भूमिका महत्वपूर्ण है। इन बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इनके कौशल विकास की जरूरत है ताकि वे अलग थलग नहीं महसूस करें। बाल विवाह और बच्चों के यौन शोषण को रोकने में सभी हितधारकों के समन्वित प्रयासों की जरूरत है।”
बाल विवाह के खिलाफ असम में हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने कहा, “राज्य में बाल विवाह के खात्मे के लिए असम सरकार द्वारा उठाए गए कदम अनुकरणीय हैं और पूरे देश के लिए एक नजीर हैं। राज्य सरकार की ओर से 2026 तक असम को बाल विवाह मुक्त बनाने एवं पीड़ितों के पुनर्वास के लिए 200 करोड़ रुपए के बजट का आबंटन सही दिशा में एक सही कदम है। इस तरह की कार्यशालाएं एवं परामर्श सत्र राज्य से बाल विवाह के खात्मे के लिए आबंटित राशि के प्रभावी तरीके से उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में कारगर साबित होंगे। साथ ही राज्य सरकार की सख्ती और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई से आगे चलकर बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई की सफलता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।”
बचपन बचाओ आंदोलन जिसे एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (एवीए) के नाम से जाना जाता है, बाल विवाह मुक्त भारत (सीएमएफआई) का गठबंधन सहयोगी है। सीएमएफआई राज्य सरकारों के सहयोग व मार्गदर्शन से देश को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहा है। पिछले वर्ष 16 अक्टूबर को असम सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, स्कूली शिक्षा विभाग, राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण तथा महिला एवं बाल संरक्षण निदेशालय जैसे तमाम विभागों ने अधिसूचना जारी कर अपने कर्मचारियों व अधिकारियों से बाल विवाह मुक्त असम अभियान में शामिल होने व बाल विवाह के खिलाफ शपथ लेने का निर्देश जारी किया था।
बताते चलें कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-2021) के अनुसार देश में 20 से 24 साल की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 वर्ष का होने से पूर्व ही हो गया था जबकि असम में 31.8 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 से पूर्व हो जाता है जो कि राष्ट्रीय औसत से बहुत ज्यादा है। लेकिन वर्ष 2023 से बाल विवाह की रोकथाम के लिए असम सरकार द्वारा उठाए गए सख्त कदमों से हालात बदलते दिख रहे हैं और अचानक बाल विवाह के मामलों में तेजी से गिरावट आई है।