शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने सोमवार को सनातन धर्म स्वीकार कर लिया, वसीम रिजवी का नाम अब जितेंद्र नारायण त्यागी होगा,,,।
लखनऊ/उत्तर प्रदेश ***अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने सोमवार को सनातन धर्म स्वीकार कर लिया। रिजवी ने यह जानकारी खुद एक वीडियो जारी कर दी। गाजियाबाद स्थित डासना में एक मंदिर में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने उन्हें विधिवत सनातन धर्म स्वीकार कराया।
रिजवी ने कहा “ धर्म परिवर्तन की यहां पर कोई बात नहीं है, जब मुझको इस्लाम से निकाल दिया गया, तब यह मेरी मर्जी है कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं। सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है और इतनी उसमें अच्छाइयां हैं जो किसी दूसरे धर्म में नहीं है। इस्लाम को मैने कभी धर्म नहीं माना। हर शुक्रवार को जुमे की नमाज में मेरे और यति निरसिंहानंद के सर पर ईनाम की राशि बढ़ा दी जाती है। इसलिए मै अपनी मर्जी से आज सनातन धर्म अपना रहा हूं।”
इस मौके पर यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि वसीम रिजवी त्यागी बिरादरी से जुड़ेंगे। रिजवी का नाम अब जितेंद्र नारायण त्यागी होगा
वसीम रिजवी के इस कदम पर कई तरह के रिएक्शन आ रहे हैं. ऐसे में हम बताते हैं कि कौन हैं वसीम रिजवी जिन्होंने इस्लाम छोड़ सनातन धर्म अपनाया?
बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वसीम रिजवी लगातार चर्चा के केंद्र में बने हुए हैं. उन्होंने देश की 9 मस्जिदों को हिंदुओं को सौंप दिए जाने की बात उठाई थी. कुतुब मीनार परिसर में स्थित मस्जिद को हिंदुस्तान की धरती पर कलंक बताया था. मदरसों की तलीम को आतंकवाद से जोड़ा था. कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसके बाद शिया और सुन्नी समुदाय के उलेमाओं ने फतवा देकर उन्हें इस्लाम से खारिज कर दिया.
मुस्लिम आवाम ही नहीं बल्कि वसीम रिजवी के परिवार के लोग भी उनके खिलाफ हो गए थे, उनकी मां और भाई ने भी अपना नाता तोड़ लिया था. वहीं, अब वसीम रिजवी को सोमवार को गाजियाबाद के देवी मंदिर में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म में शामिल कराया. वसीम रिजवी से जितेंद्र नारायण त्यागी अपने माथे पर त्रिपुंड लगाए गले में भगवा बाना पहने और अपने हाथ जोड़कर भगवान की पूजा करते नजर आए.
हिंदू धर्म अपनाने के बाद जितेंद्र नारायण त्यागी (वसीम रिजवी) ने कहा कि मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया तो फिर मेरी मर्जी है कि मैं कौन सा धर्म स्वीकार करूं. सनातन धर्म दुनिया का पहला धर्म है, जितनी उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं, और किसी धर्म में नहीं है. इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते. हर जुमे की नमाज के बाद हमारा सिर काटने के लिए फतवे दिए जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में हमको कोई मुसलमान कहे, इससे हमको खुद शर्म आती है.’
बता दें कि हिंदू धर्म अपनाने वाले वसीम रिजवी का जन्म शिया मुस्लिम परिवार में हुआ. उनके पिता रेलवे के कर्मचारी थे, लेकिन जब रिजवी क्लास 6 की पढ़ाई कर रहे थे तभी उनके वालिद (पिता) का निधन हो गया था. इसके बाद वसीम रिजवी और उनके भाई-बहनों की जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई. वसीम रिजवी अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे और वे 12वीं की पढ़ाई के बाद सऊदी अरब में एक होटल में नौकरी करने चले गए और फिर बाद में जापान और अमेरिका में काम किया.
पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वसीम रिजवी लखनऊ लौटे और अपना खुद का काम शुरू कर दिया, जिसके चलते उनके तमाम लोगों के साथ अच्छे संबंध बने तो उन्होंने नगर निगम का चुनाव लड़ने का फैसला किया. यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई. इसके बाद रिजवी शिया मौलाना कल्बे जव्वाद के करीब आए और शिया वक्फ बोर्ड के सदस्य बने. रिजवी ने दो शादियां कीं और दोनों ही लखनऊ में हुई हैं. रिवजी के पहली पत्नी से तीन बच्चे हैं, जिनमें दो बेटियां और एक बेटा है. तीनों ही बच्चों की शादियां हो चुकी है.