समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं गिरिराज सिंह रावत,उनके बाल्यकाल से लेकर जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव तक को लेकर उनके विचार जाने,,,।
कोटद्वार/पौड़ीगढ़वाल ***कोटद्वार भाबर निवासी समाज सेवी गिरिराज सिंह रावत समाज के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। भागवत गीता को जिन्होंने अपने जीवन में आत्मसात किया है। जीवन मरण को ईश्वर की इच्छा मान नेक कर्म पर रत रहने का मंत्र मानने वाले गिरिराज सिंह रावत का जीवन संघर्ष और हार ना मानने वाले एक मजबूत जीवट के व्यक्तित्व की है।
समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं गिरिराज सिंह रावत
हिंदी समाचार वेबसाइट K3india ने गिरिराज सिंह रावत से एक साक्षात्कार में उनके बाल्यकाल से लेकर जीवन के 71 वें बसंत तक के महत्वपूर्ण पडाव तक को लेकर उनके विचार जाने। विदित हो कि विगत माह गिरिराज सिंह रावत के 42 साल के युवा पुत्र का हिर्दयघात से निधन हो गया था। गिरिराज सिंह रावत जी बताते हैं कि लगभग डेढ़ लाख की आबादी वाले इस कोटद्वार शहर में लचर स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते समय पर उपचार नही मिल पाना एक विडम्बना है तथा अपने पुत्र के हार्ट अटैक के समय उन्होंने यह विडम्बना झेली है जब जीवन बचने की सम्भावना वाले बेहद महत्वपूर्ण 20 मिनट चिकित्सा कर्मियों के इंतजार मे जाया हो जाते हैं।
अंगदान जीवन के उपरांत जीवन जीने की कला गिरिराज सिंह रावत
समाज के लिए प्रेरणा पुंज बने गिरिराज सिंह रावत जी बताते हैं कि जब राजकीय बेस चिकित्सालय में उनके युवा पुत्र का हार्ट अटैक से निधन हो गया तो उनके निधन के महज दो मिनट बाद उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि सम़य खराब ना करें यथाशीघ्र उनके शरीर के महत्वपूर्ण अंगो को दूसरे जरूरतमंद लोगों के जीवन को बचाने के लिए सुरक्षित रखें।
खैर गिरिराज सिंह रावत जी का नजरिया भागवत गीता को आधार मानते हुए सामने आया बोले यह शरीर तो जीवंत रूप में हो या मरने के पश्चात यह तो ईश्वर का है हम तो उसकी रचना हैं इस चराचर जगत में अपने परारब्ध(कर्म फल) भोग रहें है।
आप सोचिए एक 71साल के बुजुर्ग पिता का युवा बेटा महज दो मिनट पूर्व अकस्मात हार्ट अटैक से इस दुनिया से चला जाता है और वह व्यक्ति उनके शरीर के महत्वपूर्ण अंग दान के लिए चिकित्सकों से गुहार लगा रहा है आखिर गिरिराज सिंह रावत भी तो मानव हैं मानवीय संवेदनाओं से भरा एक इंसान लेकिन उनका विशाल जीवट देख राजकीय बेस अस्पताल के चिकित्सकों ने भी कहा आप जैसे जीवट का व्यक्तित्व कभी नही देखा सैल्यूट है आप को।
गिरिराज सिंह रावत जी ने बताया कि राजकीय बेस अस्पताल में अंगदान के लिए अथवा यूँ कहें कि मृत्यु के पश्चात शरीर के महत्वपूर्ण अंग सुरक्षित रखने की व्यवस्था नही है तब उन्होंने स्वयं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सम्पर्क किया तथा कुछ घण्टे पश्चात एम्स की टीम उनके आवास पर पंहुच गई तथा उनके पुत्र स्व: कुणाल रावत के अंग सुरक्षित कर ले गई। गिरिराज सिंह रावत कहते हैं उनका बेटा किसी दूसरे जरूरतमंद लोगों को जीवन दे गया यह सबसे बड़ी बात है।
मरने के बाद कैसे जिया जाए, यह अंगदान से ही सम्भव है
गिरिराज सिंह रावत कहते हैं कि उनका संकल्प कोटद्वार में अनाथ बच्चों के लिए एक अनाथालय स्थापना का है तथा ईश्वर ने चाहा तो जल्दी ही वे इस पर कार्य करना प्रारम्भ करेंगे समाज में अंगदान के लिए चला रहे मुहिम:गिरिराज सिंह रावत ने बताया कि उन्होंने समाज मे मृत्यु अंगदान के लिए मुहिम प्रारम्भ की है तथा इस संदर्भ में जागरूकता हेतु कैम्प लगाया जिसमें कई लोगों ने उनकी इस मुहिम का समर्थन किया तथा मृत्यु के उपरांत अंगदान का संकल्प लिया गिरिराज रावत जी कहते हैं कि भागवत गीता को जिसने जीवन में आत्मसात कर लिया फिर वह मोह माया जीवन मरण लोभ शोक के बंधनों से मुक्त हो जाता है।
जीवन ईश्वर की देन है हम उस ईश्वर के खिलौने हैं उन्हे जब जरूरत होगी अपना खिलौना ले लेंगे बस इतना सा समझने की आवश्यकता है समाजसेवी गिरिराज सिंह रावत का बचपन भी बडे़ संघर्षों में बीता वे बताते हैं कि तब हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी दसवीं क्लास के बात मजदूरी की फिर बारहवीं की शिक्षा पूरी कर भारतीय वायुसेना में भर्ती हो गये और तभी पिता का साया सर से उठ गया परिवार बड़ा था तथा पिता जी पूरे परिवार का दायित्व संभालने को बोलकर चले गये भाइयों की शिक्षा दीक्षा के बाद उनका विवाह आदि सम्पन्न कराये ये तो परिवार की जिम्मेदारी थी जो मेरा कर्तव्य था लेकिन हमने मनुष्य योनि में जन्म लिया है और इसी योनि से मोक्ष आर्थात जीवन मरण से मुक्ति पानी है रावत जी आगे कहते हैं यह तब संभव होगा जब हम श्रेष्ठ कर्म करेंगे और उसके लिए कई मार्ग हैं मैंने अंगदान को लेकर समाज में चेतना जगानी है अगर हजार लोगों में सौ भी जाग जाए तो बेहतर है आगे प्रक्रिया जारी रहेगी पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी भी गिरिराज सिंह रावत के पुत्र के स्वर्गवास के समय उनके आवास पर आये थे गिरिराज रावत के पुत्र के अंगदान के संकल्प को लेकर उन्होंने कहा था रावत जी आपने समाज को महान प्रेरणा दी है विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूरी ने गिरिराज सिंह रावत केे लिए कहा आपको सैल्यूट है।
वास्तव में अपने लिए तो सब जीते हैं लेकिन समाज के लिए कुछ कर गुजरने वाले अपनी माँ के कोख से विरले जन्म लेते हैं। गिरिराज सिंह रावत को भागवत गीता में सम्पूर्ण जीवन दर्शन होता है वे कहते है गीता के मर्म को समझना महत्वपूर्ण है कर्म विकर्म और अकर्म ही जीवन का आधार है आपको कैसें जीवन जीना है