बैंक जमा के ब्याज पर टैक्स में राहत दे सरकार,,,।
मुंबई *** एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई दर ज्यादा होने से बैंक जमा रकम पर ग्राहकों को नकारात्मक रिटर्न मिल रहा है, इसका मतलब है कि ब्याज मिलने के बावजूद उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा, ऐसे में सरकार को ब्याज पर वसूले जा रहे टैक्स में राहत देने पर दोबारा विचार करना चाहिए,,,
एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष की अगुवाई वाली अर्थशास्त्रियों की .टीम ने कहा कि बैंकों में जमा राशि पर ब्याज मिलने से जमाकर्ताओं की पूंजी बढ़ती है। आमतौर पर ऐसा होना चाहिए, लेकिन, फिलहाल ज्यादा महंगाई से ऐसा नहीं हो रहा है। अगर सभी जमाकर्ताओं को टैक्स में यह छूट नहीं दी जा सकती है, तो कम से कम वरिष्ठ नागरिकों को रियायत जरूर मिलनी चाहिए, अधिकतर सेवानिवृत्त नागरिक खर्चों के लिए ब्याज पर निर्भर होते हैं, नकारात्मक रिटर्न के बावजूद उनसे टैक्स लेना ठीक नहीं है, इस समय बैंकों में 102 लाख करोड़ जमा हैं,,,
50 हजार से ज्यादा ब्याज मिलने पर लगता है टैक्स
जमाकर्ताओं के खाते में सालाना 40,000 रुपये से अधिक ब्याज आय पर टीडीएस कटता है, वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह 50 हजार है। सरकार और आरबीआई का जोर अभी आर्थिक वृद्धि पर है, जबकि ब्याज दरें नीचे जा रही हैं, महंगाई बढ़ने से इसका असर जमकर्ताओं पर पड़ रहा है,,,
बैंकों पर मुनाफे का दबाव
नोट में कहा गया है कि बैंकों में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज की वास्तविक दर बड़ी अवधि के लिए नकारात्मक रही है, केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट करे दिया है कि उसका प्राथमिक लक्ष्य विकास दर बढ़ाने में मदद करना है, पर्याप्त तरलता बने रहने की वजह से कम बैंकिंग ब्याज दर के निकट भविष्य में बढ़ने की गुंजाइश नहीं है, इसमें यह भी कहा गया कि प्रणाली में काफी तरलता होने की वजह से इस समय बैंकों पर मुनाफे को लेकर काफी दबाव है,,,
अर्थशास्त्रियों की सलाह
कम-से-कम सेवानिवृत्त वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज आय
की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए,
आरबीआई उम्र के आधार पर ब्याज देने पर रोक लगाने वाले नियम पर फिर से करे विचार,
बढ़ी है बैंकों में प्रतिस्पर्धा
एक आकलन के मुताबिक, रिवर्स रेपो दर 3.55% है। अगर कोर फंडिंग कॉस्ट में प्रोविजनिंग लागत भी जोड़ दी जाए तो कुल लागत 12% हो जाती है, बैंक अभी 7% से कम दर पर खुदरा लोन दे रहे हैं, इसमें प्रतिस्पर्धा बढ़ी है,,,।