पेयजल को तरसते ढाबखाल क्षेत्र के दर्जनों गाँव, कोई सुध लेने को तैयार नहीं,,,।

पेयजल को तरसते ढाबखाल क्षेत्र के दर्जनों गाँव, कोई सुध लेने को तैयार नहीं,,,।
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रिखणीखाल उत्तराखंड *** जनपद पौड़ी गढ़वाल के रिखणीखाल प्रखंड के ढाबखाल क्षेत्र के लगभग 15-20 गाँव ढाबखाल, घेडी, मंजुली तल्ली,मंजुली मल्ली, अन्दरसौ, पलीगाव, उनेरी,नयेडी ,सिनाला सहित कई गाँव, जो कि अन्दरसौ- पलीगाव पंपिंग योजना से जुड़े हैं, बीते कयी दिनों से बीमार पड़े मोटर खराब होने से पेयजल की आपूर्ति से वंचित हैं। जिससे या 15-20 गाँव पानी की एक एक बूंद के लिए तरस गये हैं। यह पहली बार नहीं हो रहा है,कुछ आदत सी पड़ गई है।आखिर कब तक ये खेल चलता रहेगा।

उत्तराखंड जल जीवन मिशन अभियान का उद्देश्य था कि उत्तराखंड के हर ग्रामीण के घर में नल से स्वच्छ पेयजल की उपलब्ध ता कराना।जन जागरुकता को बढ़ाना और व्यवहार परिवर्तन करना।पानी की गुणवत्ता की जांच और निगरानी गतिविधियों में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित कराना।लेकिन ये सब बोलने वाली बात रह गई।

गाँवों में पुराने नौले, धारे व स्रोत बन्द होने की कगार पर हैं, ग्रामीण फिर भी किसी तरह कटोरी ले जाकर वहीं से दूषित पानी लाकर पीने को मजबूर हैं तथा गुजारा चला रहे हैं। उनके गौशाला में पालतू पशु भी रम्भा रम्भा कर आवाज दे रहे हैं तथा बिना पानी के भटक गये हैं। ग्रामीणों का इस गर्मी में पूरा दिन पानी जमा करने व ढोने में ही लग जा रहा है।आजकल अधिकांश घरों में वृद्ध लोग ही रह गये हैं, उनके लिए एक गिलास पानी पीना भी नसीब नहीं हो रहा है।वे किस्से पानी मंगाये। ये बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है।आजकल गांवों में वृद्ध लोग व बेरोजगार ही रह गये हैं, जिनके बलबूते गाँव बचे हैं, लेकिन वे भी सरकार की कुरीतियों, कुनीतियो से ऊब गये हैं। जिस परिवार में बच्चे हैं वे तो पीने लायक पानी का गुजारा कर ही लेते हैं। लेकिन जिनका कोई नहीं है वे दम तोड़ने को तैयार बैठे हैं। गाँव में शौचालय तो बना दिये लेकिन बिना पानी के बदबू,मच्छर, कीड़े मकोडे पैदा हो रहे हैं। अब खुले में शौच को मजबूर हो रहे हैं। हर घर नल हर घर जल की ड्रीम प्रोजेक्ट योजना भी बीमार पड़ गई है।ये सिर्फ वाह-वाही कमाने का जरिया है।

सामाजिक कार्यकर्ता रविन्द्र बिष्ट का व ग्रामीणों का कहना है कि कोई तो हमारी सुध ले।

K3 India

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