उत्तराखंड: हाईकोर्ट ने 10 साल पुराने ऑटो-विक्रम संचालकों को दी राहत,,,।


नैनीताल/उत्तराखंड *** हाईकोर्ट ने 10 साल पुराने ऑटो-विक्रम संचालकों को दी राहत, एक अप्रैल से नहीं लगेगा प्रतिबंधकेंद्र सरकार की गाइडलाइन के तहत 10 वर्ष पुराने डीजल से चलने वाले ऑटो-विक्रमों को एक अप्रैल से प्रतिबंधित किया जा रहा था।दून में डीजल से चलने वाले करीब 1500 तिपहिया वाहनों पर एक अप्रैल से प्रतिबंध के मामले में हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया है। इससे वाहन संचालकों को बड़ी राहत मिली है। विक्रम जनकल्याण सोसायटी के अधिवक्ता भुवन भट्ट ने बताया कि परिवहन विभाग की ओर से केंद्र सरकार की गाइडलाइन के तहत 10 वर्ष पुराने डीजल से चलने वाले ऑटो-विक्रमों को एक अप्रैल से प्रतिबंधित किया जा रहा था। जबकि, डीजल से चलने वाले शेष आटो-विक्रमों को 31 दिसंबर 2023 के बाद प्रतिबंधित करना था। इनके स्थान पर बीएस-6 श्रेणी के पेट्रोल, इलेक्ट्रिक व सीएनजी वाहनों को संचालित किए जाने की योजना थी।इसके विरोध में विक्रम जनकल्याण सेवा समिति और दून ऑटो रिक्शा यूनियन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
अधिवक्ता भुवन भट्ट के अनुसार हाईकोर्ट के जज मनोज तिवारी ने सुनवाई करते हुए परिवहन विभाग के फैसले पर स्टे लगा दिया। सुनवाई के लिए अगली तारीख 28 अप्रैल निर्धारित की गई है।
ऑटो-विक्रम संचालकों ने दिया यह तर्क
अधिवक्ता भुवन भट्ट के अनुसार ऑटो-विक्रम यूनियन की ओर से तर्क दिया गया कि केंद्र सरकार की जिस गाइडलाइन का हवाला देकर उत्तराखंड में 10 साल पुराने ऑटो-विक्रम को प्रतिबंधित किया जा रहा है, वह गाइडलाइन उत्तराखंड के अनुकूल नहीं है। मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 59 के अनुसार वाहनों को प्रतिबंधित करने या उनके स्थान पर नए वाहनों के प्रयोग का फैसला केवल केंद्र सरकार ही स्पेशिफिक नोटिफिकेशन जारी कर ले सकती है। यह अधिकार परिवहन विभाग के पास नहीं है।
उत्तराखंड में देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश सहित अन्य शहरों में चलने वाले विक्रम और ऑटो पर बड़ा अपडेट सामने आया है। 10 साल से अधिक पुराने ऑटो एवं विक्रम को सीएनजी या बी -6 में बदले जाने पर हाईकोर्ट नैनीताल ने फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाने के बाद अगली सुनवाई की तिथि 28 अप्रैल निर्धारित की है।
हाईकोर्ट नैनीताल ने विक्रम जन कल्याण समिति देहरादून एवं अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए संभागीय परिवहन अधिकारी देहरादून के उस प्रस्ताव पर रोक लगा दी है, जिसके तहत 10 साल से अधिक पुराने ऑटो एवं विक्रम को सीएनजी या बी -6 में बदला
जाना था।
मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की एकलपीठ में हुई। समिति ने आरटीओ देहरादून के एक नवम्बर 2022 के प्रस्ताव 7 ए को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि आरटीओ ने अपने प्रस्ताव में 10 साल पुराने ऑटो एवं विक्रम वाहनों को 31 मार्च 2023 तक सीएमजी या बी -6 में बदलने की व्यवस्था दी थी ।
जबकि 10 साल से कम अवधि के ऑटो एवं विक्रम के लिये यह समय सीमा 31 दिसम्बर 2023 निर्धारित की गई थी। याचिका में कहा गया है कि मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 59 के मुताबिक किसी भी वाहन की उम्र सीमा, केंद्र सरकार नोटिफिकेशन के जरिये तय करती है। यह अधिकार आरटीओ को नहीं है।
इन तर्कों के बाद वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने प्रस्ताव की धारा 7ए पर रोक लगाते हुए अगली सुनवाई की तिथि 28 अप्रैल निर्धारित की है। इसी तरह की याचिकाएं ऋषिकेश, हरिद्वार एवं रुड़की की भी थीं। हाईकोर्ट की एकलपीठ का यही आदेश इन क्षेत्रों में भी लागू होगा।